Entry Fee : None - Participation is free
Eligibility - Open to all Indian Citizens - amateur, professional or student
At Eye View Enterprises, we are driven by our passion for books and a commitment to creating an exceptional reading experience. With a curated selection, quality assurance, and a focus on building a community of book lovers, we aim to inspire, educate, and connect readers with the joy of reading.
We are more than just a publishing house; we are creators of experiences, preservers of memories, and champions of identities that carry the essence of who we are. By providing a nurturing, inclusive environment for authors, we enable unique voices to reach and resonate with readers worldwide.
जनसामान्य के मन में सनातन धर्म से जुड़ी बातों और हिन्दू धर्म की वैज्ञानिकता के संबंध में कभी कभी संभ्रम होता है। तिलक क्यों लगाना, गोमाता की पूजा क्यों करना, घर में तुलसी वृंदावन क्यों बनवाना जैसे हिन्दुत्व से जुड़े छोटे-छोटे आचरणों को लेकर मन में अनेक प्रश्न अथवा शंकाएँ होती हैं। अतः वास्तुशास्त्र के पीछे का सायन्स, दैनिक जीवन में होनेवाली घटनाओं के पीछे का विज्ञान आदि रहस्यों को जानने, समझने और अपने जीवन में उतारने के लिए यह पुस्तक प्रत्येक घर में रखने तथा अपने सभी जानने वालों को उपहारस्वरूप भेंट करने के लिए अत्यंत उपयुक्त है। इस पुस्तक में चराचर जगत् में व्याप्त प्राण का अनुभव प्रत्यक्ष प्राप्त करने हेतु प्रैक्टिकल टिप्स प्रदान किए गये हैं। सर्वांगीण व्यक्तित्व विकास हेतु इनका लाभ प्रत्येक व्यक्ति को अवश्य लेना चाहिए।
Buy Nowन्याय प्रतिष्ठित करण्यासाठी अधिकारांपेक्षा कर्तव्ये अधिक महत्त्वाची आहेत. संविधानाच्या ४२व्या संशोधनात 'समाजवादी' आणि 'सेक्युलर' हे विशेषणे जोडून बंधुतेला राष्ट्रीय एकता व एकात्मतेच्या दृष्टीने महत्त्व दिलं आहे.
व्यक्तीला स्वातंत्र्य, न्याय, समानता मिळावी ही त्याची अपेक्षा आहे, तसेच राष्ट्रालाही व्यक्तीकडून बंधुतेची अपेक्षा आहे. अभिव्यक्ती स्वातंत्र्याला सीमा आहेत — सार्वजनिक सुव्यवस्था, नैतिकता व देशाच्या अखंडतेला धक्का पोहोचवणाऱ्या गोष्टींचा त्यात समावेश होऊ शकत नाही.
सामाजिक न्याय साध्य करण्यासाठी फक्त 'नागरिक' असून भागत नाही, तर प्रत्येकाने 'राष्ट्रांग' होणं गरजेचं आहे. जसं शरीराची प्रत्येक क्रिया सामूहिक हितासाठी कार्य करते, तसं प्रत्येक व्यक्तीने राष्ट्रधर्म पालन करावा लागेल. यासाठी त्याग, समन्वय आणि परस्परपूरक सहजीवन आवश्यक आहे. - मुकुल कानिटकर
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